भारत ने संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन की सदस्यता का समर्थन किया है। भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि प्रत्यक्ष और सार्थक बातचीत के माध्यम से दो देशों के बीच विवाद का हल निकाला जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने एक प्रस्ताव का समर्थन किया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि फलस्तीन इस योग्य है कि उसे संयुक्त राष्ट्र के पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। 

संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन की सदस्यता का समर्थन

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज का कहना है ‘हम संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन की सदस्यता का समर्थन करते हैं। हमने इस प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया है। हमें उम्मीद है कि सुरक्षा परिषद द्वारा फलस्तीन के आवेदन को स्वीकार किया जाएगा और संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए उसके प्रयास सफल होंगे।’

फलस्तीन के पक्ष में 143 सदस्यों ने किया मतदान

दरअसल बीते शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में अरब देशों के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। प्रस्ताव में कहा गया था कि यूएन में नए सदस्यों को शामिल करना चाहिए। यह भी मांग की गई कि फलस्तीन को यूएन की पूर्ण सदस्यता दी जाए। संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यों की महासभा में इस प्रस्ताव पर वोटिंग करवाई गई। प्रस्ताव के पक्ष में भारत समेत 143 देशों ने मतदान किया। नौ सदस्यों ने इसके खिलाफ वोटिंग की, जबकि 25 सदस्य अनुपस्थित रहे। इसके बाद यह तय किया गया है कि फलस्तीन संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए योग्य देश है।

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने 2012 फलस्तीन को एक गैर-सदस्य पर्यवेक्षक राज्य का दर्जा दिया है। यह दर्जा फलस्तीन को यूएन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति देता है। लेकिन, संयुक्त राष्ट्र महासभा में आने वाले प्रस्तावों पर फलस्तीन मतदान नहीं कर सकता है।

'इस्राइल-फलस्तीन के बीच बातचीत से निकलेगा हल' 

रुचिरा कंबोज ने कहा है कि इस्राइल और फलस्तीन के बीच चल रहे युद्ध का हल सार्थक बातचीत के जरिए निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि बीते सात महीनों से युद्ध के चलते मानवता पर संकट बना हुआ है और अब तक बहुत सारे लोग मारे गए हैं। कंबोज ने कहा कि इस युद्ध के दौरान आम नागरिकों की मौत का भारत विरोध करता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को बातचीत से इस युद्ध का हल निकालना चाहिए।